शनिवार, 1 मार्च 2008

कथा पुराण-- भाग-1...मेनका की मेरिटलिस्ट

सिलेक्शन कमेटी की मुहर लगवा कर मेनका ने मेरिटलिस्ट देवराज को सौंप दी। उन सभी का चयन पक्का था। बस इंटरव्यू की औपचारिकता बाकी थी। इंटरव्यू खुद देवराज इंद्र को लेना था। देवलोक का इतिहास गवाह है कि इंटरव्यू में देवराज कैंडिडेट की सिर्फ एक ही काबलियत देखते थे कि जिसे वो राजनर्तकी बनाने जा रहे हैं, वो कैसी दिखती है और कैसी बोलती कैसी है। लेकिन देवलोक में ये चर्चाएं भी आम हो चली थी कि देवराज ने इंटरव्यू का प्रावधान सिर्फ इसलिए करवा रखा है कि वो हर कैंडिडेट से अकेले में मुलाकात कर अपने लिए संभावनाएं तलाश लें। बहरहाल, मेरिट लिस्ट में दस नाम देखकर देवराज थोड़ा चकराए। उन्होंने सवाल किया- अरे मेनका, पोस्ट तो सिर्फ सात ही थी ना... ये दस नामों की लिस्ट क्यों ले आईं। मेनका ने शरारती लहजे में जवाब दिया- सर, इस बार सिलेक्शन में आपकी तमाम जरूरतों का ख्याल रखा गया है। ज्यादा ऑप्शन रहेंगे, तो आप किसी एक या दो डांसर के मोहताज नहीं रहेंगे। दिन हो या रात- मौजां ही मौजां...। अब वो दिन दूर नहीं सर, जब देवलोक की डांसर देवलोक से बाहर भी धूम मचाएंगी।
देवराज का दिल बल्लियों उछलने लगा। मेनका को दिल से दुआएं दीं और सोचने लगे कि मेनका ने उनके आराम का सामान तैयार करने में पूरी तत्परता बरती है। इसी खुशफहमी में देवराज ने कैंडिडेट को बुलाना शुरू किया। शुरू में दो-तीन लड़कियों तक तो सब ठीक चला, लेकिन उसके बाद जब मेनका की चेलियां और राजनर्तकी उर्वशी और रंभा की रिश्तेदार आनी शुरू हुईं, तो देवराज हैरान-परेशान हो गए। हर चेहरा उन्हें जाना-पहचाना लगा। उन्हें याद आया कि उनमें से कोई नगर सेठ कुबेर की बेटी है, तो कोई सचिवालय में कार्यरत प्रिंसिपल सेक्रेटरी या किसी दूसरे अफसर की। कई लड़कियों की तो बर्थ-डे पार्टी में वो शिरकत कर चुके थे। बेचारे क्या खाक इंटरव्यू लेते... किसी ने कहा- हैलो अंकल, तो कोई बोली- काकाश्री नमस्कार। मतलब ये कि हसीनों की यह नई फसल देवराज को उनकी उम्र का अहसास भी करा गई और रिश्तेदारी का नश्तर भी चुभो गई। इंटरव्यू की कार्रवाई खत्म करने के बाद देवराज पानी का पूरा गिलास गटक गए। उन्होंने फौरन मैडम मेनका को बुला भेजा।
देवराज मेनका से बोले- ये तुमने क्या कर डाला... ये क्या मेरिट लिस्ट तैयार की है... कोई तो डांसर ऐसी हो, जो हमारे लिए अजनबी हो... इनमें से तो हम ज्यादातर के मां-बाप को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। डांस देखने तक तो ठीक है, लेकिन उनके साथ हम एकांतवास कैसे करेंगे। मेनका देवराज की हालत का पूरा मजा ले रही थी। जले पर नमक छिड़कते हुए वो बोली- अरे सर, आप भला इन बातों का लिहाज कब से करने लगे... भूल गए, घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या। हमने आपके ऐशो-आराम के लिए देवलोक का बेस्ट स्टफ चुना है। अब जिसे भी चुना जाएगा, वो किसी ना किसी की तो बहन या बेटी होगी ही, आपको इससे क्या फर्क पड़ता है। जहां तक मैं जानती हूं, पहले तो कभी नहीं पड़ा...मेनका ने एक और तीर छोड़ा, फिर देवराज की तरफ देखे बगैर ही सलाह दी-सर, आप इधर-उधर की चिंताओं में मत पड़िए, बस नई डांसर्स की खूबसूरती और नृत्य कौशल का मजा लीजिए।
देवराज समझ चुके थे कि ये सब मेनका की चाल है, उन्हें जलील करने की। लेकिन देवराज भी कहां हार मानने वाले थे। वो ठान बैठे कि चाहे कुछ भी हो जाए ये मेरिटलिस्ट बदलवा कर रहेंगे। उन्होंने दलील दी- लेकिन मेनका हम जानते हैं कि नगर सेठ की बेटी तो ठीक से बोल भी नहीं पाती है,फिर भला वो सभासदों के समक्ष गायन कैसे कर पाएगी... क्या देवलोक के उत्सवों में हमारी नाक कटवाने का फैसला कर बैठी हो... मेनका समझ गई कि देवराज का निशाना कहां है। दरअसल नगर सेठ कुबेर की बेटी जूली उसकी सबसे प्रिय चेली थी। वो मैडम मेनका के डांस स्कूल की बेस्ट डांसर थी, बस गाने के मामले में कमजोर थी। देवराज मेनका को इसी का ताना दे रहे थे।
जली-भुनी मेनका ने पलटवार किया-सर, क्या आप कभी बदलते जमाने के साथ भी चलना सीखेंगे या लकीर के फकीर की तरह पुराने राग अलापते रहेंगे। वो पुराना फैशन था जब राजनर्तकी को ही गाने भी गाने पड़ते थे। आज कल जमाना स्पेशलाइजेशन का है। हमने आपके लिए दो-तीन शानदार सिंगर का भी इंतजाम किया है। जूली का तो आप सिर्फ डांस देखिए। गाने सुनाने के लिए दूसरी लड़कियां हैं ही। और सर, जब आप जूली को जानते ही हैं, तो उसकी खूबसूरती के किस्से भी आपके कानों में जरूर पड़े होंगे। खूबसूरती के मामले में एक भी कैंडिडेट उसके सामने नहीं ठहरती है। बोलने का क्या है। धीरे-धीरे बोलना भी सीख जाएगी और गाना भी।
लेकिन मेनका.... देवराज बात पूरी कर पाते उससे पहले ही मेनका बोली- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं है सर, जूली एक आजाद ख्याल लड़की है। आप बेफिक्र रहिए... वो पूरी तरह प्रोफेशनली बिहेव करेगी। मैं उसे समझा दूंगी कि डांसर के तौर पर ज्वाइन करने से पहले वो अपनी सारी जान-पहचान और रिश्तेदारियां घर में खूंटी पर टांग कर आए। आगे बढ़ना है तो सिर्फ अपने काम पर ध्यान दे। मेनका ने इतनी गारंटी क्या दी, देवराज मेरिट लिस्ट बदलने की अपनी जिद भूल गए। उन्होंने पूरी लिस्ट को अप्रूव करते हुए कहा- तुम जिम्मेदारी लेती हो तो ठीक है मेनका। लेकिन सभी कैंडिडेट को अच्छी तरह समझा देना कि देवलोक में किस तरह काम होता है। तुम चाहो तो छोटे-मोटे फंक्शन के लिए एक-दो ट्रेनी और ले लो। बस देवलोक के रास-रंग में कमी नहीं आनी चाहिए। मेनका बोली- थैंक्यू सर, आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।
(जारी... आगे है--- कुबेर की बेटी)

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

'सभी कैंडिडेट को अच्छी तरह समझा देना कि देवलोक में किस तरह काम होता है।'इस पंक्ति में ही छिपा है पूरे कथा पुराण का सार। कमाल का लिखा है भई। सारे करेक्टर आंखों के सामने आ रहे हैं। हमें तो ऐसा लग रहा है जैसे यह मेरे ही दफ्तर की कहानी है।

तसलीम अहमद ने कहा…

pindit ji, listing theek kijeyega, baaki katha bahoot achhi hai.

डा ’मणि ने कहा…

सादर अभिवादन अशोक कौशिक जी
आपकी शाक्त रचना के लिए बहुत बधाई मित्र
आनंद आ गया बंधु
आपसे परिचय होना अच्छा रहा
चलिए अपने परिचय के लिए
एक कविता भे रहा हूँ इसे आज ही मैने अपने ब्लॉग पे पोस्ट किया है
और हाँ बंधु मेरा ब्लॉग भी एक बार देखिए गा ज़ाऊर , क्यों , देखेंगे ना..
और मेरे ब्लॉग मे आपको कोई दम वाली बात लगती है तो बड़ा अच्छा लगेगा यदि मेरे ब्लॉग को अगर आप अपनी ब्लॉग लिस्ट मे जगह देंगे

मैं जो हूँ
मुझे वही रहना चाहिए

यानि
वन का वृक्ष
खेत की मेढ़
नदी की लहर
दूर का गीत , व्यतीत
वर्तमान में उपस्थित

भविष्य में
मैं जो हूँ
मुझे वही रहना चाहिये

तेज गर्मी
मूसलाधार वर्षा
कडाके की सर्दी
खून की लाली
दूब का हरापन
फूल की जर्दी

मैं जो हूँ ,
मुझे वही रहना चाहिये
मुझे अपना होना
ठीक ठीक सहना चाहिए

तपना चाहिए
अगर लोहा हूँ
तो हल बनने के लिए
बीज हूँ
तो गड़ना चाहिए
फूल बनने के लिए

मगर मैं
कबसे
ऐसा नहीं कर रहा हूँ
जो हूँ वही होने से डर रहा हूँ ..

DU UDAY MANI KAUSHIK
http://mainsamayhun.blogspot.com

Hari Joshi ने कहा…

हमारे आैर आपके देवलोक में भी कई मेनकाएं हमारे इंद्रों का इसी तरह बना रहीं हैं। मेनका आैर इंद्रनामा जारी रखिए, मजा आ रहा है।