सोमवार, 11 फ़रवरी 2008

कथा पुराण-- भाग-1...मेनका के आंसू

ऑपरेशन विश्नामित्र के बिल पास कराने पहुंची मेनका बोले जा रही थी और देवराज इंद्र चुपचाप उसकी बातें सुने जा रहे थे। मेनका के हर इल्जाम में अपनी ओर उंगली उठते देखकर देवराज भी जरा तैश में आ गए- मेनका हमने तुम्हें वहां विश्वामित्र की तपस्या भंग करने भेजा था, बच्चे पैदा करने के लिए नहीं...क्या जरूरत थी उससे नैन मटक्का करने की। उसके साथ घर बसाना चाहती थी क्या... जबकि तुम जानती थी कि देवलोक के नियम इसकी इजाजत नहीं देते। देवराज ने भी नियमों की दुहाई दे डाली। अब तो मेनका देवराज से शास्त्रार्थ के मूड में आ गई। सर, मुझे आपसे इस तरह के तानों की उम्मीद तो कतई नहीं थी। लेकिन अच्छा हुआ मेरा ये भ्रम भी टूट गया। अब आप कान खोलकर सुनिए- विश्वामित्र के पास मैं अपनी मर्जी से नहीं गई थी। मुझे वहां भेजा गया था और भेजेने वाले थे खुद आप।क्या आप नहीं जानते कि चिंगारी के पास कपूर रखेंगे तो आग लगना लाजिमी है...। याद कीजिए आपने ही मुझसे साफ-साफ कहा था, मेनका तुम मेरी सबसे भरोसेमंद अप्सरा हो। मुझे हर हाल में रिजल्ट चाहिए.... तब तो विश्वामित्र की तपस्या से आप इतने डरे हुए थे कि आपने मुझे अल्टीमेटम ही दे दिया था- तपस्या भंग ना कर सको तो बेशक लौट कर मत आना...
सर, मैंने सिर्फ अपना काम किया था। मेरा काम था, विश्वामित्र की तपस्या भंग करना, वो मैंने किया। ये कहीं नहीं लिखा है कि एक अप्सरा को असाइनमेंट पूरा करते वक्त कौन सा तरीका अख्तियार करना है, क्या करना है, क्या नहीं करना है।
कुछ देर रुक कर मेनका ने जज्बाती होते हुए कहा- सर, मैंने तो आपका भरोसा नहीं तोड़ा। लेकिन ऑपरेशन विश्नामित्र के बाद आपने मेरे साथ जो सलूक किया, उसने मेरा दिल जरूर तोड़ दिया। कहते-कहते मेनका रोने लगी। मेनका के आंसू देवराज से देखे ना गए। देवराज ने आगे बढ़कर जैसे ही मेनका को चुप कराना चाहा, मेनका फूट फूटकर रोने लगी। मानो पूरी जिंदगी के आंसू आज ही बह जाना चाहते थे। देवराज घबराए हुए थे कि कहीं मेनका के आंसू सैलाब ना ला दें। तब तक कॉफी लेकर एक सेविका भी हाजिर हो गई। एक तरफ रोती हुई मेनका और दूसरी तरफ कॉफी की ट्रे थामे सेविका। देवराज पागलों की तरह चीखे- दरवाजा नॉक करके नहीं आ सकती थी क्या... कॉफी रख कर दफा हो जाओ... डरी- सहमी सेविका ट्रे रखकर उल्टे पांव भाग गई।
तब तक मेनका भी अपने आंसू पोछ चुकी थी। देवराज ने उसका सिर सहलाते हुए कहा- देखो मीनू, पुरानी बातों को याद करके दुखी होने से कोई फायदा नहीं। पुरानी बातों को भूल जाओ। मेनका ने अपने ढलके आंचल को संभालते हुए देवराज को फिर घेरा- सर, आपको मेरे फायदे की अगर जरा भी फिक्र है, तो मेरे तमाम बिल पास कर दीजिए। बेचारे देवराज असहाय हो गए। उन्होंने कहा- अच्छा चलो कॉफी तैयार करो, देखते हैं। कॉफी की चुस्कियों के साथ देवराज मेनका के बिलों का फाइल देखने लगे। टीए और डीए के बिलों तक तो सब ठीक-ठाक था। लेकिन मेडिकल बिल देखकर देवराज उछल पड़े। तमाम बिल किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ यानी लेडी डॉक्टर के थे। कुछ ब्लड टेस्ट रिपोर्ट थी तो कुछ अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट। साथ में थे दवाओं के बिल। देवराज बोले- मेनका ये सब क्या है...क्या तुम्हारी प्रेगनेंसी का खर्च भी देवलोक के खजाने से भरना पड़ेगा। मेनका ने बेबाकी से जवाब दिया- सिर्फ प्रेगनेंसी का नहीं सर, डिलीवरी का भी। उसके बिल भी लगे हैं। उसकी आंखों में शरारत थी। देवराज का मुंह खुला का खुला रह गया, इसका पता उन्हें तब चला तब मुंह में मक्खी घुस गई। वो मन ही मन सोच रहे थे कि जिन अप्सराओं के साथ उन्होंने खुद ऐश की थी, कभी उनका मेडिकल खर्च नहीं उठाया। और मैडम मेनका हैं कि किसी थर्ड पर्सन के साथ ईलू-ईलू करके उनसे मेडिकल बिल पास कराना चाह रही थी। एक बार तो मन किया कि मेनका को बिलों की फाइल समेत उठा कर बाहर फेंक दें, लेकिन दूसरे ही पल ख्याल आया कि यदि इस बार मेनका नाराज हुई तो वे उससे उम्र भर के लिए हाथ धो बैठेंगे।
उधर, मेनका भी पूरी तैयारी के साथ आई थी। उसने देवराज को समझाते हुए दलील दी- देखिए सर, मेरा हरेक बिल जेनुअन है। औरों की तरह फर्जी बिल पेश करके आपको चपत लगाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। ऐसा होता तो मैं अकाउंट में ही किसी से सेटिंग कर लेती, आपके पास ना आती। मैं आपसे सिर्फ अपना जायज हक मांग रही हूं। देवराज बोले- मेनका चलो तुम्हारे टीए-डीए और मेडिकल बिलों को एक मिनट के लिए मैं जायज मान भी लूं, लेकिन ये होटलों के बिल कैसे पास कर दूं... ये तो लाखों के बिल हैं। देवराज बिलकुल रूआंसे हो गए थे। वो कहने लगे- मेनका हमने तो तुम्हें जंगलों में भेजा था ना... फिर ये होटलों के बिल कहां से आ गए....मेनका के पास इसका भी जवाब था। वो फौरन बोली- सर, अगर आपकी इंटेलिजेंस पर भरोसा करती तो मैं विश्वामित्र तक कभी ना पहुंच पाती। मैंने शुरुआत में उसे जंगलों में ही खोजा था, लेकिन आप पता नहीं कब समझेंगे कि देवलोक से बाहर की दुनिया काफी हाईटेक हो गई है। वो तो भला हो टीवी चैनलों का- जो विश्वामित्र के प्रवचन लाइव टेलिकास्ट कर रहे थे। वर्ना आपने जो पता-ठिकाना बताकर मुझे भेजा था, वहां तो विश्वामित्र मुझे कभी ना मिलते। खर्च होना तो लाजिमी था। वैसे भी सर, स्पेशल असाइनमेंट के लिए तो आप कितनी भी अमाउंट पास कर सकते हैं। उस पर कोई ऑडिट भी नहीं होता। फिर क्य़ों आप इतना सिरदर्द मोल ले रहे हैं। मेनका के तर्कों के तीर उसके नैंनों से भी तीखे थे। देवराज इंद्र बेचारे पूरी तरह निहत्थे हो गए। हार कर उन्होंने ऑपरेशन विश्वामित्र के तमाम बिल पास करने में ही भलाई समझी। खुशी के मारे मेनका चहक उठी। उसने देवराज को गले से लगाकर कहा- थैंक्यू वैरी मच सर...। बरसों बाद मेनका की बाहों का आलिंगन पाकर देवराज धन्य हो गए। उन्हें करोडों के बिल कौड़ियों के नजर आ रहे थे।
(जारी... आगे है--- मेनका की चेली)

3 टिप्‍पणियां:

Jitender Singh ने कहा…

जनाब श्री श्री 1420 कौशिक जी, आप ये बात भूल गए हैं कि देवी मेनका के तो सारे दस्तावेज जायज थे. यहाँ पर तो नाजायज दस्तावेज भी पास होते हैं.

Jitender Singh ने कहा…

बेटे काका के पोस्ट का लिंक भी याद कर ले:
http://jitumca.blogspot.com

-- तेरा काका जीतेन्द्र सिंह

Neeraj Rajput ने कहा…

menaka vishwamitra ka conversation padh kar aisa lag raha thaa ki hindi film Corporate issi par based hai. par ek baat ka hint agli kahani mei jarur d dena ki kahi y story kisi news channel k boss par adharit tau nahi hai.