शुक्रवार, 13 जुलाई 2007

चमत्कार

नित हो रहे हैं नए चमत्कार देखिये।
ज़रा ध्यान से, हर चीज को सरकार देखिये।।
सुबह उगते हुए सूरज को नमस्कार मिलेगा
पग-पग पे फिर किरणों का व्यापार मिलेगा
उजालों की कीमत जहां आंकी नहीं जाती-
बिकने को वहां सूरज स्वयं तैयार मिलेगा
पर मिलता नहीं कोई खरीददार देखिये
रोशनी की बेबसी का कारोबार देखिये...

हर वायुकण में विष का भंडार मिलेगा
नदियों के जल में मृत्यु का प्रचार मिलेगा
पर्वतों की सहनशक्ति भी जवाब दे गई-
मौसम का भी बदला हुआ व्यवहार मिलेगा
प्रकृति का प्रचंड प्रतिकार देखिये
आता निकट सृष्टि का संहार देखिये...

रिश्तों से भरा तुमको सकल संसार मिलेगा
दोस्त-बहन-भाई, हर शब्द दमदार मिलेगा
पर कल को जो विश्वास में दरार आ गई
तो टूटकर हर रिश्ता तार-तार मिलेगा
फिर राखियों से सजे बस बाज़ार देखिये
यूं मिटते खत्म होते सब अधिकार देखिये...
नित हो रहे हैं नए चमत्कार देखिये-
ज़रा ध्यान से, हर चीज को सरकार देखिये।।